छत्तीसगढ़ में औषधीय वृक्ष कुल्लू,दंतकथाओं में समाने की कगार पर हैं। इन पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण चांदी जैसे चमकदार तने वाले कुल्लू के विलुप्त होने का खतरा पैदा हो गया है। चांदनी रात में अपनी चमक से जंगल में अलग से दिखाई देने वाले कुल्लू को उसकी खूबसूरती के चलते अंग्रेजों ने"लेडी लेग" का नाम दिया था। तने के आकर्षक चमकीलेपन के चलते अंग्रेज इसकी तुलना गोरी मेम की टांगों से करते थे। सूबे के अचानकमार टाइगर रिजर्व इलाके में कुल्लू के कुछ पेड़ अब भी बचे हैं। इन्हें बचाने की कोशिश नहीं की गई, तो अंचल के ये दुर्लभ औषधीय वृक्ष खत्म हो सकते हैं।
लेडी लेग ...!
छत्तीसगढ़ में औषधीय वृक्ष कुल्लू,दंतकथाओं में समाने की कगार पर हैं। इन पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण चांदी जैसे चमकदार तने वाले कुल्लू के विलुप्त होने का खतरा पैदा हो गया है। चांदनी रात में अपनी चमक से जंगल में अलग से दिखाई देने वाले कुल्लू को उसकी खूबसूरती के चलते अंग्रेजों ने"लेडी लेग" का नाम दिया था। तने के आकर्षक चमकीलेपन के चलते अंग्रेज इसकी तुलना गोरी मेम की टांगों से करते थे। सूबे के अचानकमार टाइगर रिजर्व इलाके में कुल्लू के कुछ पेड़ अब भी बचे हैं। इन्हें बचाने की कोशिश नहीं की गई, तो अंचल के ये दुर्लभ औषधीय वृक्ष खत्म हो सकते हैं।
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